झारखंड पुलिस ने इस हफ्ते जामताड़ा में साइबर क्राइम के एक बड़े नेटवर्क “DK Boss” गैंग का पर्दाफाश किया। यह गैंग न सिर्फ खुद 11 करोड़ रुपये की ठगी कर चुका था, बल्कि पूरे भारत में अन्य स्कैमर्स को भी ठगी के लिए संसाधन और तकनीक मुहैया कराता था।
करीब 10 दिन पहले पुलिस ने एक ऐसे व्यक्ति को पकड़ा, जो मैलिशस (हानिकारक) एपीके ऐप्स बेचता था। ये ऐप्स मोबाइल से ओटीपी, बैंक अकाउंट डिटेल्स जैसी संवेदनशील जानकारी चुरा लेते थे। जब पुलिस ने जांच की, तो पता चला कि ये ऐप्स “डीके बॉस” गैंग द्वारा बनाए और बेचे जाते थे। जामताड़ा एएसपी रघवेंद्र शर्मा की टीम पहले से इस गिरोह के पीछे लगी थी।
पुलिस ने 25 जनवरी को ऐप बेचने वाले अख्तर को गिरफ्तार किया, जिसने बताया कि डीके बॉस तीन लोग हैं—आरिफ, महबूब और एसके बेलाल। पुलिस ने ट्रैकिंग के जरिए पता लगाया कि ये तीनों कश्मीर में थे, जिसके बाद पुलिस ने इंतजार कर इन्हें जामताड़ा लौटने पर गिरफ्तार किया।
पुलिस ने कुल 6 अपराधियों को पकड़ा:
आरिफ, महबूब और बेलाल—ये तीनों AI की मदद से मैलिशस ऐप बनाते थे।
अजय मंडल—ये ऐप्स डिस्ट्रीब्यूटर्स को बेचता था।
सफाउद्दीन और जसीम—ये लोग ठगे गए पैसे को अलग-अलग खातों में ट्रांसफर कर मनी लॉन्ड्रिंग करते थे।
गिरोह का तरीका बेहद खतरनाक था। ये लोग असली बैंकिंग ऐप्स की नकल करके नकली ऐप्स बनाते थे। जब कोई पीड़ित इसे डाउनलोड करता, तो उसकी बैंक डिटेल्स, ओटीपी और अन्य निजी जानकारी सीधे स्कैमर्स तक पहुंच जाती थी। इसके बाद ठग आसानी से बैंक खाते से पैसे निकाल लेते थे।
इन ऐप्स के जरिए 2700 पीड़ितों का डेटा, 27000 ओटीपी और बैंक मैसेज पुलिस को मिले। ये ऐप्स इतनी एडवांस थे कि वे हर बैंक के ग्राहकों को उसी बैंक के नाम से फर्जी मैसेज भेजते थे, जिससे लोग आसानी से ठगी का शिकार हो जाते थे।
इस पूरे गिरोह को ट्रेनिंग देने वाला एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर अभी फरार है। पुलिस उसकी तलाश कर रही है।