प्रथम प्रतिक्रियाकर्ता पुलिस अधिकारी की जिम्मेदारियां
यदि किसी व्यक्ति के साथ कोई का सायबर क्राइम हो और वह आपके पास आता है तब आपको किन बातों का ध्यान रखना चाहिये:
- पीडित / शिकायतकर्ता से उसकी शिकायत के संबंध में पूरी जानकारी लेंगे / सुनेंगे कि उसके साथ किस तरह का सायबर क्राइम हुआ है। अपराध के अनुसार शिकायतकर्ता को शिकायत करने में सहायता करेंगे।
- यदि शिकायतकर्ता ऑनलाइन माध्यम से शिकायत कर सकता है तो सबसे पहले शिकायतकर्ता को टोल फ्री नम्बर 1930 पर या सायबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल www.cybercrime.gov.in पर शिकायत दर्ज करने के लिये प्रेरित करेंगे।
- यदि पीडित / शिकायतकर्ता सीधे थाने पर शिकायत दर्ज करना चाहता है तो उसके संबंधित पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराने के लिये कहेंगे तथा शिकायत दर्ज कराने के लिये पीडित / शिकायतकर्ता को क्या-क्या चीजें अपने साथ लेकर संबंधित थाने में जाना चाहिये इसकी जानकारी निम्नानुसार देंगे।
| फाइनेंशियल फ्रॉड | सोशल मीडिया फ्रॉड | ई-मेल/वेबसाइट संबंधी फ्रॉड |
| आवेदन प्राप्त करेंगे जिसमें बैंक स्टेटमेंट, ट्रांजेक्शन डिटेल्स, मैसेज, आधार कार्ड तथा यदि किसी एप्लीकेशन का उपयोग किया गया हो तो उसकी जानकारी जैसे नाम व आईडी का वर्णन हो। | आवेदन प्राप्त करेंगे जिसमें स्क्रीन शॉट, यू.आर.एल., आधार कार्ड तथा शिकायत का विवरण हो। | आवेदन प्राप्त करेंगे जिसमें संबंधित वेबसाइट का यू.आर.एल., ई-मेल आईडी, बैंक स्टेटमेंट, ट्रांजेक्शन डिटेल्स, मैसेज, आधार कार्ड तथा यदि किसी एप्लीकेशन का उपयोग किया गया हो तो उसकी जानकारी जैसे नाम व आईडी का वर्णन हो। |
- WWW.CYBERCRIME.GOV.IN पर की गयी शिकायतों को पुलिस थानों पर WWW.CYBERPOLICE.NIC.IN पर देखा जा सकता है तथा उन पर की गयी कार्यवाही को अपडेट किया जाना जरुरी होता है जिसे जिला स्तर, राज्य स्तर तथा राष्ट्रीय स्तर पर देखा जाता है।
नोटः-
- URL का फुल फॉर्म Uniform Resource Locater होता है। URL के उदाहरण- https://www.facebook.com/username, https://www.twitter.com/username, https://www.instagram.com/username आदि।