सायबर अपराध क्या है?
साइबर अपराध एक ऐसा अपराध है जिसमें कंप्यूटर और नेटवर्क शामिल है। किसी भी कंप्यूटर का अपराध स्थल पर मिलना या कंप्यूटर से कोई अपराध करना कंप्यूटर अपराध कहलाता है। किसी की निजी जानकारी को प्राप्त करना और उसका गलत इस्तेमाल करना तथा किसी की निजी जानकारी कंप्यूटर से निकाल लेना या चोरी कर लेना भी साइबर अपराध है।
कंप्यूटर अपराध भी कई प्रकार से किये जाते है जैसे कि कंप्यूटर में संधारित जानकारी चोरी करना, जानकारी मिटाना, जानकारी में फेर-बदल करना, किसी की जानकारी को किसी और को दे देना या कंप्यूटर के भागों की चोरी करना या नष्ट करना। साइबर अपराध भी कई प्रकार के हैं जैसे कि स्पैम ई-मेल, हैकिंग, फिशिंग, वायरस को डालना, किसी की जानकारी को अनाधिकृत रूप से ऑनलाइन प्राप्त करना या किसी पर हर वक़्त नजर रखना आदि, जिनका वर्णन आपको आगे मिलेगा।
सायबर अपराधों के प्रकार-
आइए विभिन्न प्रकार के प्रचलित साइबर अपराधों के बारे में जानें।
1. ई-मेल स्पूफिंग – धारा 66-C, 66-D सू.प्रो. अधि. व 511 भा. द. वि.
ई-मेल स्पूफिंग एक ई-मेल हैडर की जालसाजी है जिससे यह प्रतीत होता है कि ई-मेल जिस नाम से आया है वह वास्तविक स्रोत है जबकि वह किसी और ई-मेल या सर्वर के माध्यम से भेजा गया है। ई-मेल स्पूफ विभिन्न प्रकार के होते हैं, लेकिन उन सभी में कुछ समानताएं होती हैं। एक मुख्य समानता यह है कि आपको एक ई-मेल प्राप्त होता है जो दावा करता है कि वह किसी परिचित व्यक्ति या संस्थान व्दारा भेजा गया है, जिसे आप जानते हैं लेकिन वास्तव में, इसे किसी अन्य स्रोत (एप्लीकेशन) व्दारा भेजा गया होता है।
2. फिशिंग अटैक – धारा 66 सू.प्रो. अधि. व 420 भा. द. वि.
फ़िशिंग अटैक में किसी ई-मेल के माध्यम से संवेदनशील जानकारी (जैसे ऑनलाइन बैंकिंग पासवर्ड, क्रेडिट कार्ड विवरण, डेबिट कार्ड विवरण आदि) धोखाधड़ी से प्राप्त करना शामिल है (अक्सर, हमलावर खुद को और अपने संचार को वास्तविक रूप में छिपाने की कोशिश करता है)। भेजे गए संदिग्ध ई-मेल के आई.पी. पते का उपयोग करके संदिग्ध की पहचान का पता लगाया जा सकता है। फोन कॉल के माध्यम से संवेदनशील जानकारी प्राप्त करना “विशिंग” और एसएमएस के माध्यम से संवेदनशील जानकारी प्राप्त करना “स्मिशिंग” कहलाती है।
3. ई-मेल बाम्बिंग – धारा 43 सहपठित 66 सू.प्रो. अधि.
ई-मेल बमबारी, ई-मेल के दुरुपयोग का एक रूप है। इसमें मेलबॉक्स को अधिप्रवाहित (ओवरफ्लो) करने या उस सर्वर को जड़ / अष्क्रिय करने के प्रयास में एक पते या प्राप्तकर्ता को ई-मेल की बड़ी मात्रा भेजना शामिल है जिससे उस सर्वर जहां ई-मेल पता होस्ट किया गया है, की सेवा अवरुद्ध हो जावे।
4. नौकरी / जॉब फ्रॉड – धारा 66-D सू.प्रो. अधि. व 419, 420 भा. द. वि.
इस तरह के अपराधों में उच्च वेतन या अतिरिक्त आय अर्जित करने की झूठी आशा / लालच देकर रोजगार चाहने वाले लोगों को धोखा देना शामिल है। ऐसे कई तरीके हैं जहां जालसाज आकर्षक ऑफर जैसे आसान किराया, आसान काम, उच्च मजदूरी, के झांसे देकर लोगों के साथ पैसों की धोखाधड़ी करते हैं।
5. सायबर डिफेमेशन – धारा 500 भा.द.वि.
भारतीय दंड संहिता (आई.पी.सी.) के अनुसार, जो कोई या तो बोले गए या पढ़े जाने के लिए आशयित शब्दों व्दारा या संकेतों व्दारा, या दृष्य रुपणों व्दारा किसी व्यक्ति के बारे में कोई लांछन इस आशय से लगाता या प्रकाशित करता है कि ऐसे लांछन से ऐसे व्यक्ति की ख्याति की अपहानि की जाए या यह जानते हुए या विश्वास करने का कारण रखते हुए लगाता या प्रकाशित करता है कि ऐसे लांछन से ऐसे व्यक्ति की ख्याति की अपहानि होगी, उसके बारे में कहा जाता है कि वह उस व्यक्ति की मानहानि करता है। साइबर मानहानि पारंपरिक मानहानि करने का नया रूप है जहां किसी व्यक्ति या संगठन को बदनाम करने के लिए ई-मेल, सोशल मीडिया आदि जैसे आधुनिक संचार / प्रसार तंत्र का उपयोग किया जाता है।
6. सायबर स्टॉकिंग / पीछा करना – धारा 354-D भा.द.वि.
साइबर स्टॉकिंग / पीछा करना एक आपराधिक कृत्य है जिसमें हमलावर पीड़ितों को लगातार परेशान करने के लिए इंटरनेट और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का उपयोग करके परेशान या मानसिक पीड़ा देता है।
7. सायबर बुलिंग – धारा 506 भा.द.वि.
यह पीड़ितों को परेशान करने, धमकी देने, शर्मिंदा करने और अपमानित करने के लिए ई-मेल, सोशल मीडिया, एस.एम.एस., संदेशवाहक मंचों आदि जैसे संचार माध्यमों का उपयोग करके किए गए अपराध का एक रूप है। साइबर बुलिंग गुमनाम हो सकती है या इसके व्यापक दर्शक वर्ग भी हो सकते हैं जो तेजी से फैल सकते हैं। साइबर बुलिंग आमतौर पर किशोरों में होती है।
8. पोर्नोग्राफी – धारा 67 सू.प्रो. अधि.
साइबर पोर्नोग्राफ़ी को अश्लील सामग्री बनाने, देखने, पढने, वितरित करने, आयात करने या प्रकाशित करने के लिए साइबरस्पेस का उपयोग करने के कार्य के रूप में परिभाषित किया गया है।
9. चाइल्ड पोर्नोग्राफी – धारा 67-A & B सू.प्रो. अधि.
चाइल्ड पोर्नोग्राफ़ी वह इलेक्ट्रानिक दस्तावेज या डाटा है जिसमें किसी 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चे को लैंगिक गतिविधियों में संलिप्त दिखाया गया हो। इस तरह की सामग्री बनाने, देखने, वितरित करने, आयात करने या प्रकाशित करने के अलावा डाउनलोड करने आदि के लिए साइबरस्पेस का उपयोग करने के कार्य को चाइल्ड पोर्नोग्राफी के रूप में परिभाषित किया गया है।
10. हैकिंग – धारा 43 सहपठित 66 सू.प्रो. अधि.
हैकिंग एक शब्द है जिसका उपयोग कंप्यूटर सिस्टम के डाटा या उसकी जानकारी को नष्ट करने या हटाने या बदलने या डाटा की उपयोगिता को कम करने, या इसे हानिकारक रूप से प्रभावित करने के कार्य को करने के लिये किसी कम्प्यूटर सिस्टम, कम्प्यूटर नेटवर्क या कम्प्यूटर रिसोर्स में अनचाहे व अनाधिकृत रुप से प्रवेश को हैकिंग कहा जाता है
11. वायरस – धारा 43 सहपठित 66 सू.प्रो. अधि.
कंप्यूटर वायरस एक प्रकार का मानव निर्मित एप्लीकेशन ही होता है जिसका दुरुपयोग कंप्यूटर संसाधन के कार्य को बाधित करने, डाटा को नष्ट करने में किया जाता है। यह आम तौर पर खुद को किसी अन्य कंप्यूटर संसाधन से जोड़ता है। प्रत्येक वायरस का कार्य करने का तरीका अलग होता है। वह वही कार्य करता है जिस कार्य के उद्देश्य से उसे बनाया गया है।
12. वेबसाइट डिफेमेशन – धारा 43 सहपठित 66 सू.प्रो. अधि.
यह एक वेबसाइट पर किया गया हमला है, जो उस वेबसाइट के मूल रूप को बदल देगा और हमलावर कुछ अन्य अश्लील व अनचाहे चित्र, संदेश, वीडियो आदि पोस्ट कर सकता है और कभी-कभी वेबसाइट को निष्क्रिय बना सकता है।
वेबसाइट विकृत करने के सबसे आम मामले हैं, एक देश के हैकर्स अन्य देशों की वेबसाइट्स को मैलवेयर से संक्रमित करके अपनी तकनीकी श्रेष्ठता प्रदर्शित करने के लिए नष्ट करने का प्रयास करते हैं।
13. सलामी अटैक – धारा 43 सहपठित 66 सू.प्रो. अधि.
यह एक प्रकार से वित्तीय धोखाधड़ी होता है, जो लोगों की पकड़ में बेहद मुश्किल से आती है। सलामी अटैक में साइबर अपराधी विभिन्न खाताधारकों से बहुत छोटे रकम की चोरी करता है, जिसे इकट्ठा करके वह एक बड़ा आंकड़ा कमा लेता है।
14. डॉस अटैक – धारा 43 सहपठित 66 सू.प्रो. अधि.
डिनायल ऑफ सर्विस (DoS) अटैक में, किसी वेब साइट या सर्वर व्दारा दी जाने वाली किसी महत्वपूर्ण सेवा या कार्य को बाधित कर दिया जाता है जिससे सेवा के इच्छित उपयोगकर्ताओं को नुकसान होता है। आमतौर पर यदि इस तकनीक का उपयोग करके किसी वेबसाइट का काम करना बाधित कर दिया जाये या किसी ई-मेल के इनबॉक्स में मेल आने बंद हो जाये तब इस तरह के अटैक को डॉस अटैक कहते हैं।
कुछ मामलों में, डॉस हमलों ने वेबसाइटों को अस्थायी रूप से संचालन बंद करने के लिए मजबूर किया है। इसमें अक्सर ई-मेल और अन्य अनुरोधों के रूप में बड़ी मात्रा में ट्रैफ़िक भेजना शामिल होता है ताकि यह सिस्टम की संपूर्ण बैंडविड्थ पर कब्जा कर ले और अंततः क्रैश हो जाए। डिस्ट्रीब्यूटेड डिनायल ऑफ सर्विस (DDoS) एक प्रकार का हमला है जिसमें हमले की तीव्रता को बढ़ाने के लिए संलग्न BOTS को वितरित करके कई प्रणालियों का एक-साथ उपयोग किया जाता है।
15. रैनसमवेयर – धारा 43 सहपठित 66 सू.प्रो. अधि.
रैनसमवेयर एक प्रकार का कंप्यूटर मालवेयर है जो फाइल्स, स्टोरेज मीडिया को डेस्कटॉप, लैपटॉप, मोबाइल फोन आदि संचार उपकरणों को लॉक कर देता है, डेटा / सूचना को कूटभाषा में परिवर्तित कर बंधक बनाकर रखता है, तथा बदले में पैसों की मांग की जाती है जो कि बिटकॉइन में होती है। लेकिन इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि फिरौती देने के बाद पीड़ित को डेटा वापस मिल जाएगा।